Tuesday 13 October 2015

मैं और चाल्र्स - ऋचा चड्ढा से बातचीत

ऋचा चड्ढा से बातचीत
क्या अब आपका संघर्ष खत्म हो गया है ?
संषर्ष तो अब भी चल रहा है। बस उसका रूप बदल गया है।  पहले ऑटो से संघर्ष कर रही थी और अब अपनीगाड़ी से करती हूं। पहले फिल्म पाने के लिए भाग दौड़ कर रही थीअब अपने काम को नया आयाम देने में श्रमलगा रही हूं। फिल्म इंडस्ट्री में होना मतलब लाइफ टाइम के लिए संघर्ष में होना है। इसलिए ऐसा नहीं कह सकतीकि कुछ फिल्मों की सफलता और प्रशंसा के बाद मेरा संघर्ष खत्म हो गया है। यहां हर फ्राइडे के बाद करियर काभविष्य निर्धारित होता है।
आपकी पहचान टुकड़ों में हुई है। बीच के समय में हौसला कैसे बनाए रखा ?
- 'ओए लकी  लकी ओएऔर 'गैंग्स ऑफ वासेपुरके बीच चार साल का गैप है। उसमें २००८ से २०१० तक कासमय मेरे लिए काफी मुश्किलों भरा रहा। मेरे पास कोई काम नहीं था। उस दौरान मैंने अपने अंदर के कलाकार कोजिंदा रखने के लिए थियेटर कियेनाटक किये। किसी काम को पाने का हौसला बनाये रखने के लिए सबसे जरूरीहै कि उसमें आपकी रुचि लगातार बनी रहे। इसके अलावा आपकी हॉबिज और आपसे जुड़े लोगों की भी भूमिकामहत्वपूर्ण होती हैजिससे आप निराशा में जाने से बच जाते हैं। मेरे मुश्किल दिनों में मेरे परिजनों का बड़ा सहयोगरहा। पैसे कम होने पर पैसे भेजेमुझसे बातचीत में उन्हें कभी लगता था कि मैं  कुछ निराश हूंतो वो मुंबई जाते थे।



'मैं और चाल्र्सकैसी फिल्म है ?
ये एक थ्रिलर फिल्म है। क्रिमिनल चाल्र्स की कहानी है कि कैसे वो लॉ स्टूडेंट मीरा की मदद से दोचार कैदियोंके साथ देश की सबसे सुरक्षित जेल तिहाड़ से भाग जाता है। उसके बाद पुलिसकर्मी अमोल चाल्र्स की जिंदगी मेंभाग दौड़ शुरू करता है। चाल्र्स गोवा में पकड़ा जाता है और फिर मुंबई में उसका सामना अमोल से होता है। इसमेंयही दिखाया गया है कि कैसे घटनाओं की प्लाटिंग और उन्हें अनकवर किया गया है। मैं मीरा बनी हूं और चाल्र्सका किरदार रणदीप हुड्डा निभा रहे हैं।
ग्लैमर इंडस्ट्री में होकर भी ग्लैमरस हीरोइन की पहचान ना होने को लेकर कभी कसक होती है ?
हांकभी-कभी ये कसक उठती है। इसकी वजह ये है कि ग्लैमरस रोल की फिल्में करने के कारण आपके पासकमाई करने के कई रास्ते  जाते हैं। कई शोजअपियरेंस के मौके मिलते हैं। ऐसा नहीं है कि मैं ग्लैमरस रोल कीफिल्में बिल्कुल ही नहीं कर रही हूं। लेकिन उसको लेकर बहुत बेचैन नहीं हुई जा रही हूं। 'मसानकी सफलता केबाद कई लोगों ने मुझसे पूछा कि आप बड़े बजट की कमर्शियल फिल्में क्योंनहीं करतीं। मैं उन सभी से कहनाचाहती हूं कि 'मसानजैसी मीनिंगफुल अच्छी फिल्में और करना चाहूंगी।
जब पहली बार अभिनेत्री बनने का ख्याल आयातो क्यावो ग्लैमर का आकर्षण था ?
बचपन से ही मुझे लग रहा था कि मैं अभिनेत्री बनने के लिए ही बनी हूं। मेरे मन में आकर्षण ग्लैमर को लेकर नाहोकर सिनेमा को लेकर था कि वो कौन सी बात हैजो बनावटी होते हुए भी इतना असरदायी है। ये बच्चे से लेकरबड़े तक सभी जानते हैं कि जो पर्दे पर दिख रहा हैवह बनाया हुआ है। फिर भी सभी उससे जुड़ जाते हैं।
फिल्म इंडस्ट्री में कभी ठगे जाने का अहसास हुआ ?
— हांये अहसास कई तरह के हैं। जैसे कुछ लोगों ने कोई काम देने का भरोसा देकर लटकाए रखा,

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